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Wednesday 23 September 2015

Ek Andheri Raat


 हम एक 4 मंज़िला बिल्डिंग मे रहते थे , जिसकी फ़र्स्ट फ्लोर पर हम तीन लोगो के अलावा और कोई नहीं रेहता था| पहले एक और फॅमिली भी ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी पर पिछले हफ़्ते ही उन लोगो ने कहीं और शिफ्ट कर लिया था|


रात के 10 बजे थे | हर हफ़्ते की तरह आज भी मम्मी- डैडी को सब्ज़ी लाने मार्केट जाना था जो सिर्फ़ सोमवार को ही लगता| 10 बजे मार्केट जाना अजीब बात तो है, पर क्या करें| वो दोनों ऑफिस से शाम को आते और खाना बनाने मे भी देर हो जाती| इसके अलावा इस समय रश भी कम होता |

उनके जाने के बाद पूरी बिल्डिंग में मै अकेली रह जाऊंगी, इस बात पर मेरा ध्यान ही नहीं गया| पर जब उन्होने जाते-जाते बोला –दरवाजा ठीक से बंद कर लेना, नीचे के फ्लोर पर कोई नहीं है, मुझे ये सुनकर जैसे सांप सूंघ गया| पर मै उन्हे रोक भी नहीं सकती थी|

उनके जाने के बाद मैंने दरवाजे की दोनों कुंडियाँ बंद कर दी, और उनके वापस आने का वेट करने लगी| यहीं से कुछ अजीब घटनाएँ शुरू होती हैं -

मेरा ध्यान एक अजीब से शोर की की तरफ़ खिचा| वैसे भी मै कमरे की तरफ़ ही जा रही थी| कमरे मे जाकर देखा तो वो कूलर की आवाज थी| मैंने उसका स्विच बंद किया| पर उसके बंद होते ही एकाएक मुझे ध्यान आया की डैडी जाते वक़्त इसे बंद करके गए थे| मैंने अपने दिमाग पर ज़ोर डाला तो मुझे अच्छे-से याद आ गया और मै सोचने लगी कि ये अपने आप बिना किसी के चलाये कैसे चल सकता है|

इस छोटी सी बात को नज़रअंदाज़ करके मै बाल्किनी मे जाकर खड़ी हुई| सब्ज़ी वालों का शोर यहाँ तक सुनाई दे रहा था कि अचानक मैंने देखा कि एक काला कुत्ता मुझे घूरते हुए भोंकने लगा| उसका इस तरह वहाँ से आ-जा रहे लोगों कि जगह मुझ पर भोंकना मुझे बहुत अजीब लगा| और इस आवाज़ से परेशान होकर मै हॉल में बैठकर अपना काम करने लगी| मैंने लैपटॉप खोला ही था, कि ठीक उसी पल लाइट चली गयी|

अब घर में बिलकुल अंधेरा हो गया| और ये खयाल कि बाकि तीनों फ्लोर्स बिल्कुल खाली हैं, मुझे और डरा रहा था| साहस बटोरकर मै अपने मोबाइल कि धीमी रोशिनी के सहारे माचिस ढूँढने लगी, क्योंकि इत्तफ़ाक से हमारा इंवर्टर भी खराब पड़ा था|


मै स्टोर-रूम मे रखे रैक कि तरफ बढ़ रही थी, कि तभी मुझे ऐसा आभास हुआ मानो मेरे पैरों से किसी का हाथ टकराया हो, जिससे मै गिरते-गिरते बची| मैंने नीचे देखा तो वह कुछ नहीं था| अब मेरा डर और भी ज़्यादा बड़ गया, धड़कन तेज़ हो गयी, हाथ-पैर कांपने लगे!

किसी तरह मैंने माचिस और मोमबत्ती ढूंढ ली| पर ये क्या? सारी तिल्लियाँ घिस गयी पर एक भी नहीं जली| फिर मुझे एक तरकीब सूझी, मैंने किचन मे जाकर गॅस जलाई, और उससे कैन्डल जला ली| उसे स्टडि टेबल पर रखकर लैपटॉप ऑन किया और अपना ध्यान हटाने के लिए पूरानी फोटोस देखने लगी जिसमे कुछ इस घर की भी थी| एकाएक मै कुछ देखकर सकपका गयी..
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मैंने देखा, सभी फोटोस मे सब कुछ सामान्य था बस दो चीजों के अलावा – ये घर जो उनमे से किसी भी फोटो मे नहीं दिख रहा, अगर था तो एक खाली प्लॉट और झाड़ियाँ| दूसरा,  सिर्फ़ मेरा चेहरा धुंधला था, इतना की पहचान मे भी नहीं आ र था|

मै इतना डर गयी की मैंने अपने पैर कुर्सी पर रखके बैठ गयी, और मुह को घोटनों मे छिपा लिया| पर एक के बाद एक अजीब चीज़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी|

उसी समय आँधी चलने लगी, जिसके एक झोंके से मोमबत्ती बुझ गयी| हवा की डरावनी आवाज़ मेरे कानों मे ऐसे गूंज रही थी जैसे किसी के रोने की आवाज़ हो| घर मे रखी चीज़ों के टकराने की आवाज़ आने लगी, दरवाज़े और खिड़कियाँ बजने लगी| फिर एक तेज़ झोंका आया जिससे बाल्किनी का दरवाजा एक तेज़ आवाज़ के साथ बंद हो गया|

मुझे समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है और मुझे क्या करना चाहिए| पूरे घर मे अंधेरा था| सिर्फ़ लैपटाप की धीमी लाइट थी, जिसकी बैटरी भी खत्म हो रही थी| उस लाइट मे मैंने कॉरिडॉर मे देखा तो सब बिखरा हुआ था, चीज़ें गिरी पड़ी थी| वो एक अंधेर गलियारे जैसा दिख रहा था|

सौभाग्यवश, थोड़ी देर मे लाइट वापस आ गयी| मैंने सब चीज़ें अपनी जगह पर रखी, की तभी बहुत-से लोगों के ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ें आने लगी| मै बाल्किनी मे देखने पहुँची तो ये देखकर और भी हैरान रह गयी की मम्मी-डैडी सब्ज़ी लेकर आ गए पर वो इस घर मे आने की जगह यहाँ से 2 घर छोडकर उस घर मे जा रहे हैं जिसमे कोई रहता ही नहीं||||||||||||||||||||||||||||||||
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किसी डरावनी कहानी से कम नहीं थी न ये सच्ची घटना? अब ध्यान दें और देखे वास्तविकता का दूसरा पहलू –
                जब मुझे जाते-जाते बोला गया - दरवाजा ठीक से बंद कर लेना, नीचे के फ्लोर पर कोई नहीं है, उसी पल से मेरे मन मे डर पैदा हो गया| और जब हम पर ये पापी डर हावी हो जाता है, तो हर घटना को हम उसी से जोड़ देते हैं|  जैसे मैंने बताया कि डैडी का कूलर बंद करने के बावजूद कूलर का चलता हुआ पाया जाना| हकीकत ये है कि डैडी ने दूसरे कमरे का कूलर बंद किया था, और ये वाला पहले से ही चल रहा था शायद अपने डर की वजह से मै ये बात भूल ही गयी थी |

फिर मैंने कहा कि बाल्किनी मे खड़े होने पर वो कुत्ता मेरे ऊपर भोंक रहा था| बाद मे मुझे याद आया कि जब मै वहाँ खड़ी हुई थी तो मै बिस्कुट खा रही थी| ये भी तो हो सकता है कि वो कुत्ता भूखा हो और खाने कि वस्तु देखकर भोंकने लगा|

लैपटॉप खोलते ही लाइट का चले जाना महज़ एक इत्तफाक की बात है |

इसके तुरंत बाद ही जो मेरे पैरों से कोई नर्म सी चीज़ टकरा कर गायब हो गयी, मै और ज़्यादा डर गयी| ये सोचा ही नहीं कि हमारे घर मे चुंहे भी हैं|

और माचिस कि तिल्लियों के न जलने का कारण था कि पूरी तरह से इंवर्टर पर निर्भर होने के कारण काफ़ी समय से वो यूस नहीं हुई थी| इस बीच बारिश के कितने मौसम आए-गए होंगे| ऐसे मे माचिस कि डब्बी का सील जाना बिलकुल स्वाभाविक था|

आपको याद होगा कि मैंने कहा था कि पूरनी फोटो मे ये घर नहीं दिखा | तो मै आपको बताती हूँ कि हमारा अपना घर यहाँ से थोड़ा दूर है| क्योंकि वो रेनोवेट किया जा रहा है इसलिए हम यहाँ कुछ महीनों से रेंट पर रेह रहे थे | वो फोटोस करीब 4 साल पूरनी थी जब ये सच मे एक खाली प्लॉट ही होगा| और उन सब फोटोस मे ही मेरी शक्ल धुंधली थी क्योंकि 3-4 साल पहले मेरे भाई ने मेरा मज़ाक उड़ाने के लिए उन फोटोस को फॉटोशॉप से एडिट किया था पर वो मुझे दिखाना भूल गया था|

आखिरी मे मेरा मम्मी – डैडी को एक ऐसे घर मे जाते हुए देखना जो इतने सालों से खाली पड़ा था – तो इसका कारण भी उन्होने मुझे आकर बताया – अभी-अभी वहाँ डैडी के फ्रेंड कि फॅमिली ने शिफ्ट किया है, और उन्हे आता हुआ देखकर उन्हे अपना नया घर दिखाने बुला लिया|

तो दोस्तों, ये कहानी एक उदाहरण है, ये समझाने के लिए की भूत-आत्माएँ सिर्फ़ हमारे डर की उपज है| ये एक वैज्ञानिक तथ्य है कि ये सिर्फ़ हमारी कल्पना का भाग है जिसका फायदा फिल्म निर्देशक अपनी फिल्मे बनाने मे, लेखक अपनी पुस्तके छापने मे अमुमन उठाते हैं| बल्कि अभी हलही मे एक रेडियो चैनल पर भी इस तरह का शो शुरू हुआ है, जो काल्पनिक कथाओं को सच्ची घटनाओं का नाम देके लोगों को उल्लू बना रहा है| इसके अलावा कुछ लोग प्रॉपर्टि हथयाने के लिए भी घर या ज़मीन को हौंटेड प्लेस का नाम दे कर लोगो को डरते हैं|

इस छोटी-सी कहानी का लक्ष्य था आपको संदेश देना की आप महज एंटर्टेंमेंट के नजरिये से ही ऐसी काल्पनिक बातों को सुने या देखें पर उन्हे सच मान कर डरपोक या बेवकूफ न बने|

धन्यवाद|



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