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Sunday 27 September 2015

Swachh Bharat Abhiyaan




स्वच्छता और निर्मलता दोनों ही शांतिपूर्ण जीवन के अनिवार्य अंग हैं | हमारा घर, मुल्क और देश साफ़ हो तो भारत के सभी नागरिक स्वस्थ रहेंगे, बीमारियाँ फैलना बंद हो जाएंगी, देश की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और हम देश को विकास की ओर ले जा सकेंगे | इसलिए सफाई और स्वच्छता इस देश के प्रत्येक नागरिक की सामाजिक ज़िम्मेदारी बनती है |

महात्मा गांधी जी का एक सपना था – स्वच्छ भारत यानि सभी भारतवासी स्वच्छता के महत्व को समझें और इस पर अमल करे| परंतु वास्तविकता यह है कि उनके द्वारा अनेकों प्रयत्न करने के बावजूद भी आज हम सफ़ाई के मामले मे विदेश वासियों से बहुत पीछे हैं |

इसी असफल लक्ष्य कि संप्राप्ति के लिए स्वच्छ भारत अभियान एक प्रयास है, एक स्वच्छता मुहिम है जो 2 अक्तुबर 2014 को महात्मा गांधी के 145वे जन्मदिन पर भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था| इस अभियान का उद्देश्य है - 2 अक्तुबर 2019 तक भारत को एक स्वच्छ देश बनाना जो की गांधी जी की 150वी जयंती होगी |

इस अभियान के अंतर्गत देश के सभी शहरो और गांवों में सफ़ाई आरंभ की गयी है | इसमे शौचालय का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा एवं स्वच्छता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, गलियों व सड़कों की सफ़ाई, देश के बुनियादी ढांचे को बदलना, आदि शामिल है |

हम कह सकते हैं की सरकार अपनी तरफ से जितना संभव हो सके, उतने प्रयास कर रही है, पर आज भी जब मै लोगों को नि:संकोच सड़कों पर कूढ़ा फेंकते देखती हूँ तो बहुत दु:ख होता है | समझ मे नहीं आता की हमारी मानसिक प्रवत्ति कैसी हो गयी है| हम हर चीज़ सरकार के ज़िम्मे छोडकर कैसे अपनी ज़िम्मेदारी भूल जाते हैं| ये भूल जाते हैं की ये देश हमारा है, इस देश के हर मुद्दे मे केवल पुलिस, सरकार या प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं है बल्कि हमारा भी कर्तव्य बनता है |

पर हम कर क्या रहे हैं? हम बस खड़े रहकर तमाशा देखते हैं, और ऑफिस मे, या घर जाकर चाय की गश्त लगाते हुए चर्चा करते हैं की सरकार कितनी भ्रष्ट है, पुलिस कितनी निकम्मी है| पर क्या, कभी हम अपने घिरेबान मे झाँककर देखते हैं कि देश के नागरिक के रूप मे हम कैसे हैं?

इसलिए, जो लोग आज भी नि:सन्देह सड़कों पर केले के छिलके फेंक रहे हैं, दीवारों पर पान कि पीक थूक रहे हैं, या खुले मे पेशाब कर रहे हैं, विशेषत: उन लोगों से मै कहना चाहूंगी कि ऐसा करने पर हम अपने देश का ही नहीं, बल्कि अपनी शिक्षा का, अपने संस्कारों का भी अपमान कर रहे हैं | मेरा अनुरोध है कि इस देश के अच्छे नागरिक कि तरह स्वच्छता अभियान के दायित्व को समझें और देश को सुंदर बनाने मे जितना संभव को सके उतना योगदान दें | और यदि कुछ भी नहीं कर सकते तो फ़िर गंदगी भी न करें |

धन्यवाद|


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